life
उस पत्थर को कोई अपनाएगा क्या
सब्र का बान टुटा है
अब अपनी आंसू आँखों से यूं छुटी है
लगता हैं नदी का बान टुटा है
समंदर में जैसे लहरें तेजी से...
सब्र का बान टुटा है
अब अपनी आंसू आँखों से यूं छुटी है
लगता हैं नदी का बान टुटा है
समंदर में जैसे लहरें तेजी से...