...

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दिवाली आ गई आप नही।
दिवाली पे कोई पटाखे लायेगा क्या बाबा!
हमें उछलते देख खुशी से आपसे ज्यादा कोई मुस्कुरायेगा क्या बाबा!
पटाखे से जल जाऊंगा उछलते उछलते इतनी फिक्र कोई दिखा पायेगा क्या बाबा!
किसी के मना करने पे, हमारा गुस्सा हो जाना कोई आप जितना दुलार दिखायेगा क्या बाबा!
मिठाई खाने को कोई जबरन मनायेगा क्या बाबा!
लाखों खुशीयां होंगी मेरे पास,मिठाईयाँ होंगी,
मगर आपसी मुस्कान, फिक्र, दुलार कोई दे पायेगा क्या बाबा!
बाबा पता है लाखों कोने है दिल मे लोगो के लिए,
खाली होते हैं भर जाते मगर आप वाला कोना सुंसान पड़ा है बाबा!
भर पाए ऐसा इंसान इस दुनिया मे कहाँ कोई, आ पाया बाबा!

© शांत कलम 🖤