...

11 views

तुम क्या जानो
जो अश्रु न छलकाते हैं,
न नयनन नीर बहाते हैं,
न अपनी पीर दिखलाते हैं,
चित्त से ही स्नेह लगाते हैं।
तुम क्या जानो...
उस पिता की कथा को !
तुम क्या समझो....
एक पिता की व्यथा को !
जो सच कहना ही सिखलाते हैं,
न झुकना तुम ,समझाते हैं,
जीवन का पथ दिखलाते हैं,
न रुकना तुम बतलाते है
तुम क्या जानो......
उस पिता की कथा को !
तुम क्या समझो.....
एक पिता की व्यथा को !
जो हम से ही मुस्काते हैं
हम ही पे प्राण लुटाते हैं
जब लोग हमें भटकातें हैं
वही सच्ची राह दिखाते हैं
तुम क्या जानो......
उस पिता की कथा को !
तुम क्या समझो.....
एक पिता की व्यथा को !
।।स्वाति।।