शायरी#64
दर्द का नशा
तन्हाई के साथ बढ़ता हैं
अश्कों में घुलकर
ये सर चढ़कर बोलता हैं
© Spiritajay
तन्हाई के साथ बढ़ता हैं
अश्कों में घुलकर
ये सर चढ़कर बोलता हैं
© Spiritajay
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