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खोई शहर की शांति
#खोईशहरकीशांति

निकला था घर से शहर को,कुछ कमाने
थोड़ी सी ख़ुशी और इस सर को छुपाने
भूख भी कमबख्त ऐसी कि घर पर रहने नहीं देती
बच्चे तड़पे भूख से अब ये आंखें सहने नहीं देतीं

पहुंचा शहर वहा बेहद शांति थी,
इतनी की वहां कोई अपना ना था
बहुत आते हैं लोग वहा अपने सपनों को लेकर, मगर मेरा कोई ऐसा सपना ना था

मैं अपने भूखे बच्चों का पेट पालने शहर आया था,
उनके दामन में थोड़ी सी खुशियां भर दूं,
इसलिए मैं शहर आया था

मगर यहाँ वो प्यार नहीं था,
हँसता खेलता मेरा छोटा परिवार नहीं था,
थी तो बस तन्हाई और खोई शहर की शांति !!

कुछ दिन मैं ठहरा वहा,
सोचा पैसा बहुत कमाऊंगा,
मगर ख्याल आया क्या सच में यहां रहकर
मैं सुखमय जीवन जी पाऊंगा,

यहाँ कौन है मेरा सब कुछ पराया है
बहुत पैसा है यहाँ मगर ना अपना कोई
हमसाया है !!

खोया यहाँ परिवार सभी का
सब अपने में ही मस्त है,
खोयी है शहर की शांति,
कोई खाली नहीं परिवार के लिए,
सब यहाँ व्यस्त है !!

© hema singh __