...

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गुलाबी ठंड
कोहरे का घुँघट हौले से उतारकर,
चम्पई फ़ूलों से रूप का श्रृंगार कर..

अंबर ने प्यार से जब धरती को छुआ,
गुलाबी ठंडक लिए महीना फरवरी हुआ..

धूप गुनगुनाने लगी, शीत मुस्कुराने लगी,
मौसम की ये ख़ुमारी मन को अकुलाने लगी..

आग का मीठापन जब गुड़ से भीना हुआ,
गुलाबी ठंडक लिए महीना फरवरी हुआ..

हवायें हुई सँदली, चाँद हुआ शबनमी,
मोर पँख सिमट गये प्रीत हुई रेशमी..

बातों-बातों में जब दिन कहीं गुम हुआ,
गुलाबी ठंडक लिए महीना फरवरी हुआ..

~अमिय