...

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~रिश्ते~
रिश्ते.....

रिश्ते पैसेंजर ट्रेन के एक नए सफ़र की तरह होते है,

शुरू में ढेर सारी चहल - पहल
नए सफ़र में चलने का ज़ोश
फ़िर एक दो घंटे में ख़ामोश होने लगते है
ऊँघने लगते हैं ........
बातें...