...

12 views

औरत ( क्या सिर्फ एक गारी हु मैं?)
पति प्रेम सुधा की प्यासी हूं मैं,
तेरे घर आंगन की वाशी हूं मैं।
तु समझे कल की बासी हूं मैं,
गंगा यमुना की काशी हूं मैं।

ना समझो तुम बेचारी हूं मैं,
एक अकेली दस-सौ पे भारी हूं मैं।
तेरे इस घर को संवारी हूं मैं,
पर आज भी तुझे ना प्यारी हूं मैं।।

ना समझ मुझे तु दाशी हूं मैं,
मां दुर्गा की नक्काशी हूं मैं।
तेरा हि भाग्य संवारी हूं मैं,
बन लक्ष्मी तेरे आंगन पधारी हूं मैं।।

तेरा आधा अंग धारी हूं मैं,
बच्चो की माता प्यारी हूं मैं।
तु समझे घर की...