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मां
एक शब्द में समाया सृष्टि की सारी रचना है
मां का उपमा नहीं मां में बसे सारा जहां है।
मां कोमल मां कठोर मां से ही अस्तित्व है
मां के आंचल में परमानंद का अनुभव है।
कितनी लाचारी बेबसी का मां एक कहानी है
मौत के मुंह से छीन लाती संतान की जिंदगानी है।
मां के स़्पर्श से होता हर दर्द का निवारण
मां के रूप में ईश्वर का होता है हमें दर्शन।
बिन सुने ही पढ़ लेती है मां बच्चों की व्याथा
नहीं शब्द मेरे कोश में लिख सकु मां की गाथा।
जीवन के पग- पग में मां की ममता अपरिहार्य है
मां का हृदय न दुखे उनके चरण शीरोधार्य है।
मां का उपमा नहीं मां में बसे सारा जहां है।
मां कोमल मां कठोर मां से ही अस्तित्व है
मां के आंचल में परमानंद का अनुभव है।
कितनी लाचारी बेबसी का मां एक कहानी है
मौत के मुंह से छीन लाती संतान की जिंदगानी है।
मां के स़्पर्श से होता हर दर्द का निवारण
मां के रूप में ईश्वर का होता है हमें दर्शन।
बिन सुने ही पढ़ लेती है मां बच्चों की व्याथा
नहीं शब्द मेरे कोश में लिख सकु मां की गाथा।
जीवन के पग- पग में मां की ममता अपरिहार्य है
मां का हृदय न दुखे उनके चरण शीरोधार्य है।
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