...

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चाहता हूं
तैर तैर के थक गया हूं
थोड़ा लहरों के साथ बहना चाहता हूं।
खुली आंखों से सोया बहुत मैने
अब आंखें बंद कर के सोना चाहता हूं।
बोल बोल के थक चुका हूं
अब बस मुस्कुरा के बातों से बचना चाहता हूं।
अब कुछ सुनाने का मन नहीं करता
हो सके तो दूसरों को भी सुनना चाहता हूं।
कभी लगता है दुनिया का मोह नहीं है
बस अब चिर निद्रा में सोना चाहता हूं।

© Amitra