नदी
नदी की कल-कल ध्वनि, जैसे अप्सरा की हँसी,
चंचल जल की छवि, जन जन के हृदय में बसी ।
मोती-से कंठों पर खेलते हैं रत्न जले,
नदिया की गोद में, सपनों के रंग छलके।
चाहे चाँदनी रात हो, या सूर्य की पहली किरण,
तू है जीवन धारा, जीवंत है तुझसे हर क्षण।
सुनहरी रेत पर नृत्य करतीं, लहरों की लोरियाँ,...