...

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चल कुछ कदम और चल.......
मेरी मंज़िल मेरे ठीक सामने है
मेरा सफ़र अब पूरा होने को है
मेरा हर सपना अब सच होने को है

चल कुछ कदम और चल....

सब कुछ जाएगा अब बदल
एक दिन सब मुझको जान जाएँगे
ठान लिया है कुछ कर दिखलाएँगे.....
हर दिन में आग में जला हूँ
हर लम्हा ख़ुशियों को सिर्फ खिड़की से निहारा है
हर पल अपने आप को रोका है;

त्याग का फल अब मिल पाएगा
जो सोचा था वो सपना पूरा हो जायेगा
बस कुछ क़दम और चल......

© Supriya singh