हे राम! धर्म रक्षार्थ हेतु पुनः तुम शस्त्र उठाओ
अपने रण कौशल की प्रदीप्ति दिखलाओ,
हे राम! धर्म रक्षार्थ हेतु पुनः तुम शस्त्र उठाओ।।
सत्य की खोई लालिमा, असत्य करता है वर्तन।
बढ़ा पाप धरा पर, विधर्मियों के ललाट पर है नर्तन।
बढ़ रहे अत्याचार पर अब तुम विराम लगाओ।
हे राम! धर्म रक्षार्थ हेतु पुनः तुम शस्त्र उठाओ।।
तम, अंधकार, पीड़ा, तृष्णा व चहु ओर वेदना छाई है।
अश्रुओ की वीचियों के समक्ष ये कैसी विपदा आई है।
शिथिल...
हे राम! धर्म रक्षार्थ हेतु पुनः तुम शस्त्र उठाओ।।
सत्य की खोई लालिमा, असत्य करता है वर्तन।
बढ़ा पाप धरा पर, विधर्मियों के ललाट पर है नर्तन।
बढ़ रहे अत्याचार पर अब तुम विराम लगाओ।
हे राम! धर्म रक्षार्थ हेतु पुनः तुम शस्त्र उठाओ।।
तम, अंधकार, पीड़ा, तृष्णा व चहु ओर वेदना छाई है।
अश्रुओ की वीचियों के समक्ष ये कैसी विपदा आई है।
शिथिल...