...

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कभी घटता कभी बढ़ता चाँद
आसमां का दरवाजा खोले
साथी बन सबके साथ
चलता है चाँद...
कभी घटता कभी बढ़ता चाँद!

धरा से दूर पर
नाता इससे गहरा है
श्वेत रंग ओढ़े
खिला चेहरा है
कितनी कलाएँ करके जीवन चक्र समझाता चाँद!
कभी घटता कभी बढ़ता चाँद.!

अमावस्या से पूनम तक
आधियारे के राहों से
उजियारे के दीप जलाता चाँद
कभी घटता कभी बढ़ता चाँद!