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मै भागीरथी गंगा हूं
मै भागीरथी गंगा हूं
मै बेहेती हूं तूफानों सी
मै मंद शीत अग्नि हूं
रुकना मेरे बस में नहीं
क्युकी मै भागीरथी गंगा हूं....!
मैली है संसारी काया
पापो से मुक्त होगी ये माया
मै अद्वितीय महेश की छाया हूं..
मै भागीरथी गंगा हूं...!
उमड़े पड़े घनघोर घटा चाहे पड़े बिजलियों की छटा
मै अविरत निरन्तर बहैती धारा हूं
मै भागीरथी गंगा हूं..!
युगों युगों से पावन चरणों की मै दासी हूं
निरन्तर चलने वाले समय की में साक्षी हूं
देखे मैने राम रहीम,अब इंसानों में देखने की अभिलाषी हूं ,, मै शिवजटावहिनि भागीरथी गंगा हूं..!
कनक समान कांति मेरी प्रेम की धारा से पिघलती हूं
शिशेसा चरित्र नहीं में तलवारों सी आत्म गरिमा हूं
चट्टानो को काटे वो पापनाशिनी हूं
मै भागीरथी गंगा हूं...!
एक मां हूं संतान हित में बेहेति हूं
आंचल में रखकर नन्होको स्वास्थ्य अर्पण करती हूं
निरपेक्ष में अपना कर्तव्य निभाती हूं
मै भागीरथी गंगा हूं..!
सुनो मेरी पुत्रियों..!
शिशेका चरित्र नहीं जो कोई आकर तोड़ जाए
बनो तलवार की धार सी जिसे देख वासना नष्ट हो जाए
आंखो में तुम्हारे ईश्वरीय पहेचान हो
तुम मेरा ही अंश हो मै तुम्हारी जननी हूं
मै शिव जटावाहीनी भागीरथी गंगा हूं...!