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।। अशुद्ध संसार.... ।।
"मैं जिस दिन किताब लिखूंगा
तो उसमें कोई भेद भाव नहीं रखूंगा ।"
- Dr. बी आर अंबेडकर

न जाने ये किस संसार कि रचना है
अपना होकर भी नहीं कोई अपना है
विशाल दिपक सा रोशनी तो देता है
पर आंगन में इसके देखो अंधेरा सा रहता है

जना गण मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता
कोई पंजाब, सिंध, गुजरात और मराठा
नहीं एक किसी कि है भाषा
तू है ही क्या, औकात है क्या
मैं राजा हु और तू है मेरी प्रजा
नहीं तेरा और मेरा कोई मेल है
यही तो भाई ऊंची और निंची जाती का खेल है

गर गौर से पढ़ोगे तुम भागवत गीता
तो समझ पाओगे कि कर्म ही है जीवन का फिता
जो बांधोगे इसको तुम ईर्षा की गांठ
तब खुद ही कर बैठोगे तुम जीवन समाप्त
कुछ ऐसी तकरीर हमें कुरान भी सिखाता है
एक दूजे से बैर नहीं बस प्यार बढ़ाता है
५ वक्त कि नमाज़ और इबादत से जरिया बनता है
जिहाद नहीं वह तो बस इस्लाम का पश्चम लहराता है

एक नजर हम BIBLE पर भी ले आते हैं
भेद करना तो हमें JESUS भी नहीं सीखते है
फिर कौन है वो जो इन किताबों को रुतबा गिराते हैं
सच को छुपाकर, झूट के झंडे गाड़ जाते हैं
मगर ये दोष उनका क्यों है???
जब हम खुद ही अच्छे और बुरे का फर्क भूल जाते हैं
मान लेते है बात उनकी, जो हमें भड़काते है
फिर एक बार हम, धर्म के नाम पर बंदुखे उठाते हैं

न जाने ये किस संसार कि रचना है
अपना होकर भी नहीं कोई अपना है
विशाल दिपक सा रोशनी तो देता है
पर आंगन में इसके देखो अंधेरा सा रहता है

To be continued....

© Aezz खान...