...

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दोस्ती और वो स्कूल के दिन !
काश वो स्कूल के दिन वापस आ जाते

काश हम दोस्त एक साथ फिर खेल पाते

लड़ाई झगड़ा चलता रहता था पर

एक पल में हम दोस्त लाख पल जी जाते

लास्ट बेंच पर कब्ज़ा था

तब दोस्ती का भाव कुछ सस्ता था

एक समोसे और चाय में पार्टी हो जाती थी

और बर्थडे बॉय पर हम लोगो का हाथ बरसता था

वो एक पल जीने को अब

लाखो कोशिशें होती है

कुछ खास ही आ पाते है अब तो

सबके पास कहा फुरसत होती है

आखिर में यादे ही रेह गयी है ज़्यादा

क्योंकि अब ज्यादा मुलाकात कहा होती है