...

27 views

ज़िन्दगी से हताश
जिंदगी अनमोल है
क्यू समझा इसे खेल है,
गम तो इक पहलू है इसका
क्यू समझा मौत ही इक रास्ता है,
क्या खुशी के लिए तुझे
खुदखुशी ही रास आयी
ज़िन्दगी से हताश
मौत समझ आयी...

गर परेशा था तू तो
नयी राह की खोज में निकला होता
तू कुछ वक्त के लिए
और सम्भला होता
बातो को अपनी तू
खुद पर भी आज़मा लेता
तो शायद तू सदा के लिए
असमा में ना टिमटिमा रहा होता

लिया होगा तूने जब ये फ़ैसला
तू भी कुछ देर ठहरा होगा
वापस मूड कर देखा होगा
नहीं कोई दूर तक नज़र आया होगा
कितनी बेबसी में तूने
ये कदम उठाया होगा

सबक सबको इस बात का दिया है तूने
शानो शौकत सब बेकार है
गर दिल का दर्द बांटने वाला
ना कोई हमराज है
तेरी बेबसी को समझ तो सकते हैं
पर तेरे उठाये कदम को ना कभी सही कह सकते हैं...

इक आवाज़ लगायी होती
तूने अपनों को
जरूर आता तुझसे मिलने को
ये ज़िन्दगी बड़ी कम्बख्त है
लोगों के जज्बातों से खेल जाती है
कोई जीत कर आगे बढ़ जाता है
कोई तेरी तरह कफ़न में लिपट
दुनिया से चला जाता है....
we miss u...😔😔😔

कल्पना@कल्पू