अधूरी दास्तान
खोकर खुद को, पानी थी पहचान
पर रह गई इश्क़ की अधूरी दास्तान
मैंने चाहा था उसे दिलो जान से
रखा था दिल मे उसे बड़े शान से
मगर उसे इश्क़ मेरा मंज़ूर न था
इसमे उसका कोई कसूर न था
मैंने ही दिल अपना उसपर वारा था
समझा उसको जीवन का सहारा था
उसकी भी...
पर रह गई इश्क़ की अधूरी दास्तान
मैंने चाहा था उसे दिलो जान से
रखा था दिल मे उसे बड़े शान से
मगर उसे इश्क़ मेरा मंज़ूर न था
इसमे उसका कोई कसूर न था
मैंने ही दिल अपना उसपर वारा था
समझा उसको जीवन का सहारा था
उसकी भी...