....न हो सकता
सुना है , आँसू की कीमत होती है क्या..
उस तकिये का कोई खरीददार न हो सकता ।
अब हर मौसम में बारिश करा दें...
ऐसा तो मेरा परवरदिगार न हो सकता ।
ये हवाएं दूर आसमानी लगती है गुरु
ज़मीनी हवा , इंसान का हमलावार न हो सकता।
कितने शख्त से पेश आते तो मेहमान के साथ
ऐ ज़िन्दगी! तुमसा कोई मकानदार न हो सकता ।
ये क़ब्र किसी अमीर...
उस तकिये का कोई खरीददार न हो सकता ।
अब हर मौसम में बारिश करा दें...
ऐसा तो मेरा परवरदिगार न हो सकता ।
ये हवाएं दूर आसमानी लगती है गुरु
ज़मीनी हवा , इंसान का हमलावार न हो सकता।
कितने शख्त से पेश आते तो मेहमान के साथ
ऐ ज़िन्दगी! तुमसा कोई मकानदार न हो सकता ।
ये क़ब्र किसी अमीर...