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नींद की आरज़ू
रात की सियाही तले
जागती आँखों से सपने भले

चैन की नींद को हम तरसते
जब तनहाइयों के बादल बरसते

न कोई हाँसिल न कोई हमदम
दर्द में भरते हैं हम हर दम

इस खामोशी के सन्नाटे हैं गहरे
रात में जो...