...

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आओ मेरे राम मड़ैया...
आओ मेरे राम मड़ैया कब से बांट निहारे।
यादें तेरी आती हरपल तेरा नाम पुकारे ।।
बुला -बुला कर हारी आँखें मेरे राम कहां रे।
आओ मेरे राम मड़ैया कब से बांट निहारे।।
चुन-चुन फूल सबरी माता सी शब्दों की सजाऊं।
चाहूं न चुभे छंदन कांटे गिन गिन शब्द लगाऊ।।
मै धनहीन तेरा शौकीन जाऊं बता कहाँ रे।
आओ मेरे राम मड़ैया कब से बांट निहारे।।
--"प्यासा"

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