भीड़ और मैं
एक सुनामी नज़र आती है चारों तरफ़ यहाँ,
पर अपना कहने को मिलता नहीं कोई यहाँ,
असासा हूँ या बस एक ज़रिया लोगों के लिए,
ग़ैरों से ही नहीं...
पर अपना कहने को मिलता नहीं कोई यहाँ,
असासा हूँ या बस एक ज़रिया लोगों के लिए,
ग़ैरों से ही नहीं...