...

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शायद कोई हमदर्द
तबाह करने में,
दम सभी लगातें है
कौन हम से दर्द
खींचने आया है,
रोने को आंसू
बचे नहीं अब
कौन आंखों से
सींचने आया है
मुफ़्त में सभी रुलाते है
कौन मेरे आंसू
खरीदने आया है
कौन मेरा दिल
जीतने आया है।
© अन्वित कुमार

अक्सर कभी हम जीवन में हार जातें हैं निराश हो जातें हैं और कभी कभी तो हम रो भी नहीं पाते हैं शायद रोने को आंसू भी नहीं बचते हैं वो निकलने से पहले ही सुख जाते हैं शायद वो समय सीने में ठंडक मिलने हेतु पर्याप्त न हो,

ऐसी घड़ी में कोई परिवार का सदस्य,कोई मित्र या कोई साथी ही आता है और जीवन के इस कठिन पल में हमे ढाढस दे जाता है हम यह तो नहीं कह सकते हैं की वो कोई मित्र ही हो क्योंकि कुछ बातों को मित्र भी समझ नहीं पाते या ये बात उन तक पहुंच नहीं पाती या शायद उसे ये बात हम बताना नहीं चाहते हों इसलिए कभी...