...

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अपने दिल की बात क्यों न तुम कहते हो...
सोचते रहते हो दर्द से कराहते हो, अपने दिल की बात क्यों न तुम उन्हें बताते हो।
कब तक रोओगे कब तक दर्द सहोगे, अपने दिल की ख़्वाहिशें उन्हें क्यों न कहते हो।
दर्द दिल सहता है आँखें नाम रहती हैं, अपने दिल की बात उनसे क्यों न कहते हो।
क्या डरते हो उनसे तुम या कोई भेद छुपाये बैठे हो, अगर नहीं तो फिर...