...

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कभी तुम भी आओ ना..
कहने को है कितना कुछ ,
सुनने कभी तुम भी आओ ना..
मैं अपना हाल सुनाऊं तुम्हे,
पर मिलने कभी तुम भी आओ ना..
अकेला नहीं सब साथ है मेरे,
पर समझने कभी तुम भी आओ ना..
अगर गलत हूं कहीं,
मुझे समझाने कभी तुम आओ ना...
कहने को सब अपने हैं,
पर साथ देने कभी तुम भी आओ ना...
किताब हूं मैं बंध पड़ी,
पढ़ने कभी तुम भी आओ ना...
अंसुलझी सी गुत्थी हुं मैं,
सुलझाने कभी तुम आओ ना...
कहने को है कितना कुछ
सुनने कभी तुम भी आओ ना..

© usha 💕