...

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मेरी कविता
मेरी कविता तू मेरी पहचान बन जा
कल जब मैं न रहूँ रहना बने मेरी प्रतिमा
मेरे होने का अहसास दुनिया को दिलाना
न गहरा है मेरे लेखन शब्द सागर जैसा
न विचार मेरा आसमान की तरह ऊंचा
सीधी-साधी न श्रृंगार सरल है मेरी भाषा
न लिखने की कोई शैली न सजावट से भरा
हर विषय पर उतारती हूँ मैं अपनी भावना
कोरा कागज पर अपने दिल से कलम द्वारा
हिंदी लिखना शौक है मुझे बचपन से ही
पसंद पाना मशहूर बनना मेरा लक्ष्य नहीं
दिल से लिखती हूँ सरलता ही सही
माफ करना मेरी भाषा गर किसी को पसंद नहीं।
© biji

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