मैं चाह लेता तो...
मैं चाह लेता तो आगे बढ़ गया होता
काम से निकलता, सीधे घर गया होता
कर भी क्या सकता था जो शम्मा नसीब न हुई
ये परवाना फिर भी शायद मर गया होता
मसौदा ही कुछ कच्चा थे मेरे इश्क का
वरना ये शैतान(मैं) भी शायद सुधर गया होता
किसने कहा...
काम से निकलता, सीधे घर गया होता
कर भी क्या सकता था जो शम्मा नसीब न हुई
ये परवाना फिर भी शायद मर गया होता
मसौदा ही कुछ कच्चा थे मेरे इश्क का
वरना ये शैतान(मैं) भी शायद सुधर गया होता
किसने कहा...