मज़बूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
हर एक की अपनी मज़बूरी है
कोई पैसे से मजबूर तो कोई अपनों से मजबूर
कोई रास्ते मे मजबूर तो किसी की मंजिल मज़बूरी है
भूखे इंसान की रोटी मज़बूरी है
© "PD"
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
हर एक की अपनी मज़बूरी है
कोई पैसे से मजबूर तो कोई अपनों से मजबूर
कोई रास्ते मे मजबूर तो किसी की मंजिल मज़बूरी है
भूखे इंसान की रोटी मज़बूरी है
© "PD"