तुम पास थी तो बेफिक्र बेख्याल रहता था,,
तुम पास थी तो बेफिक्र बेख्याल रहता था,,
ज़रा-सा दूर क्या हुई बेचैन-सा हो गया हुँ मैं,,
तुम मेरी गली से दूसरी गली में रहती थी,
फिर भी मेरी थी,,
अब अपनी गली में ही बे गली-सा हो गया हुँ मैं,,
इस सिहाई रात में तेरा ज़िक्र जुगनू से करते हुए,
तेरी तस्वीरों से बात करके, इश्क़ में तेरे बावला-सा हो गया हुँ...
ज़रा-सा दूर क्या हुई बेचैन-सा हो गया हुँ मैं,,
तुम मेरी गली से दूसरी गली में रहती थी,
फिर भी मेरी थी,,
अब अपनी गली में ही बे गली-सा हो गया हुँ मैं,,
इस सिहाई रात में तेरा ज़िक्र जुगनू से करते हुए,
तेरी तस्वीरों से बात करके, इश्क़ में तेरे बावला-सा हो गया हुँ...