...

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शायरी
Hmm...
छोड़ेंगे न तुमको किया था वादा ये खुद से
तुम भी यही चाहते थे मुझसे
सोचा था तुमसा अच्छा न कोई ओर होगा
मालूम न था तू ही हमारे लिए मौत होगा

तकदीर भी कहती है
मंजिल है पास नही
चाहते हो जिसे वो ही हमारे साथ नही
कदर हमारी धूल जितनी होगी
क्योंकि वो हमे समझते खास नही

चल दिल चल
मंजिल बड़ी दूर है
चाहते हो जिसे वो ना कोई हूर है
जीतते तो सभी है
हारा वो जिसका दिल मजबूर है

हंसी की आवाजे आती है
जब यादें दरवाज़ा खटखटाती हैं
इजाज़त नहीं देते अंदर आने की
फिर भी न जाने कैसे रुला जाती हैं


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