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//पनाहों में//
"शिद्दत से ग़र हो गुज़रिश तो यूँ पनाहों में आएँगे,
बेकरारी में जान-ए-जाँ ,बेशक़ निगाहों में आएँगे।
आएँगे जब भी तो दर्द-ए-दिल का हाल पूछेंगे ज़रूर,
जिस ग़म का ज़िक्र नहीं मिटाने ख़ैर-ख़्वाहों में आएँगे।
हालात-ए-हाल-ए-दिल समझने की करेगें कोशिश,
ना समझ सके तो ख़ुदा ख़ैर करे रू-सियाहों में आएँगे।
रहम-ओ-करम ख़ुदा बरसाए आप पर सदा ही,
ख़्वाहिशें मेरी ग़र आप सोचें तो गुनाहों में आएँगे।
बे-दर्द को भी आपका याराना नसीब हो जानाँ,
हो गया गर जुनूँ सवार तो आपकी तबाहों में आएँगे।
रखिएगा सब्र ज़रा सा इन नागंवारा करते हालातों में,
ख़्यालों में नहीं चाहत का इज़हार करने बाहों में आएँगे।
© ©Saiyaahii🌞✒
बेकरारी में जान-ए-जाँ ,बेशक़ निगाहों में आएँगे।
आएँगे जब भी तो दर्द-ए-दिल का हाल पूछेंगे ज़रूर,
जिस ग़म का ज़िक्र नहीं मिटाने ख़ैर-ख़्वाहों में आएँगे।
हालात-ए-हाल-ए-दिल समझने की करेगें कोशिश,
ना समझ सके तो ख़ुदा ख़ैर करे रू-सियाहों में आएँगे।
रहम-ओ-करम ख़ुदा बरसाए आप पर सदा ही,
ख़्वाहिशें मेरी ग़र आप सोचें तो गुनाहों में आएँगे।
बे-दर्द को भी आपका याराना नसीब हो जानाँ,
हो गया गर जुनूँ सवार तो आपकी तबाहों में आएँगे।
रखिएगा सब्र ज़रा सा इन नागंवारा करते हालातों में,
ख़्यालों में नहीं चाहत का इज़हार करने बाहों में आएँगे।
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