...

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खुश
चलो छोड़ो दुनियादारी
फिर एक बार खुश होते हैं
अपनी दुनिया को समेटकर
दिल से पहले खुद को देखते हैं
सबने अपना अपना काम किया
किसी ने रुसवा तो किसी ने बर्बाद किया
प्रीत की डोर न बंधी किसी से
क्योंकि सबने दिमाग से काम किया
किसी को शोहरत का नशा किसी को
सुंदरता
किसी का अहम किसी का वहम
मैं क्यों ने सब बर्बाद किया
चलो खुद की दुनिया बसते हैं
अपनी खुशी में शामिल हो जाते हैं
कमी कुछ भी नही
बस थोड़ा दिल से जुड़ जाते
अपने से ज्यादा दूसरों को तवज्जो दे जाते हैं
मेरी राह अब सबसे जुड़ा होगी
मैं खुद से अपनी निगहबंlह बन रही हूं
स्वयं के साथ चल रही हूं
खुश हो रही हूं