...

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बस यूँ ही,,,,!


तेरे दर पे मुक्कदर ले आया बस यूं ही

तोहमतों के दल-दल में खड़ा कर दिया बस यूं ही

अश्क़ के साथ बह चले सब सपने यूं ही

हम आज भी ठीक-ठाक करने की सोच
रहे हैं बस यूं ही

सपने हजार टूटे तो कोई ग़म नहीं

वो जब भी मिला..!दिल तोड़ दिया बस यूं ही

टूटते बिखरते रहे पर दूर जा न सके बस यूं ही

लोग क्या कहेंगे बस यही सोचते रहे बस यूं ही