...

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मुझे उनसे....
अपनों में गिनते थकते नहीं थे ,
अब अजनबियों में मुझको गिनने लगे वो,
उनकी ऐसी हिमाकत हो गयी है।

इतनी ठोकरें मिल रही ऐ जमाने तुझसे,
मैं औरों से क्या शिकायत करूं,
मुझे खुद से शिकायत हो गयी है।

इल्म है मुझे तेरी हर बदसलुकियों का,
जाने क्यों अब बुरा नहीं लगता ,
शायद मुझे ठोकरें खाने की आदत हो गयी है।

आजिज़ हुआ करते थे जो पहले,
अब दुश्मनी निभाया करते है दिल से,
उनकी दुश्मनी हीं मेरे लिए अब इबादत हो गयी है।

न जाने ऐसे क्यों खफ़ा है मुझसे हफ़्तों से,
मसला ये नहीं कि वो मुझे पसंद नहीं करते,
माजरा ये है कि मुझे हीं उनसे मोहब्बत हो गयी है।।

© shalini ✍️

#Life&Life
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