बद्दुआ नहीं निकलती है
खुशी की बात हो जब
मन नाच उठता है तब
ग़म की मायूसी हो तो
दिल क्यों कचौटता है?
कहना जरूरी नहीं तब
आंखें ब्यान कर देती हैं
जज्बातों के दायरे में से
अरमान मचलते हैं जब!
दिल जलता है अक्सर तब
हसरतें पूरी नहीं होती जब
अधूरी ख्वाहिशें सताती हैं
यादें भुलाई नहीं जाती हैं !
तकदीर वालों के दिन रंगीन हैं...
मन नाच उठता है तब
ग़म की मायूसी हो तो
दिल क्यों कचौटता है?
कहना जरूरी नहीं तब
आंखें ब्यान कर देती हैं
जज्बातों के दायरे में से
अरमान मचलते हैं जब!
दिल जलता है अक्सर तब
हसरतें पूरी नहीं होती जब
अधूरी ख्वाहिशें सताती हैं
यादें भुलाई नहीं जाती हैं !
तकदीर वालों के दिन रंगीन हैं...