...

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साथी
चाहते थे साथ जिनका
वो साथ निभा ना पाए
थामे थे हाथ जिसका
वो हाथ न पकड़ पाए

सोचते थे जिसे हर पल सपनो मे
वो सपना पूरा न कर पाए
चाहते थे एक साथ निभाने वाला
वो कमबख्त एक साथ न बन पाए

बोलने वाले मिल जाते है हजार
वो हमें सुन न पाए
आज भी ढूंढते है उस शक्सियत को
जो हमारी अपनी हो
आज भी ढूंढते है एक साथी को
जो हमारा अपना हो


© shadow