...

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जज़्बात
कह नही पाते कितना घबराते
तुम बिन अब हम रह नही पाते
मुक्कमल सी बात तुमसे कह नही पाते
राहों में तुमको एक टक निहारते
माना की कभी मिलना मुनासिब न होगा
न तुम होंगे पर अधिकार तुम्हारा ही होगा
बादलों को तुम तक पहुंचाते
वर्षा की बूंदों को तुम्हारे लबों तक पहुंचकर
दिल को तसल्ली दिलवाते
कोई बात नही एक न दिखने वाली दुनिया
जहां तुझपर सिर्फ मेरा इख्तियार होगा
बस मेरे करीब न कोई और होगा
उस दुनिया में बस रहना है हमको
बस मर मर के अब न जीना है हमको
बस कुछ खूबसूरत से पल दे दो ह मको