...

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वर्षा
एक मधुर-सा संगीत
बनकर जैसे बरस पडा हो जल ,
धरा तपस्विनी झूम उठी जैसे धन्य
हुई पाकर फल,
पवन भी हर्षित हो उठी जैसे कर लिया
कोई लक्ष्य सफल,
प्रकृति सौंदर्य बिखेर रही जैसे
कोई माया छल,






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