कुछ और तलाश रहा है..
कभी कभी तो लगता है
वो कुछ और तलाश रहा है....
उजड़ी हुए बस्ती में
वो रौनक तलाश रहा है
सूखे हुए फूलो में
वो महक तलाश रहा है
बेगानों की बस्ती में
वो अपनापन तलाश रहा है
कभी कभी तो लगता है
वो कुछ और तलाश रहा है.......
यू तो टूट चुका है ख्वाब उसका ...
वो कुछ और तलाश रहा है....
उजड़ी हुए बस्ती में
वो रौनक तलाश रहा है
सूखे हुए फूलो में
वो महक तलाश रहा है
बेगानों की बस्ती में
वो अपनापन तलाश रहा है
कभी कभी तो लगता है
वो कुछ और तलाश रहा है.......
यू तो टूट चुका है ख्वाब उसका ...