इंसान टूट जाता है
पल में इंसान टूट जाता है, किसी अपने के खोने से
और घूट घूट कर मरता है, अंदर ही अंदर रोने से
तन्हा, अकेला हो जाता है, दुनिया के साथ होने से
नींद, सुकून छीन जाता है, करवट बदल के सोने से
पल में इंसान टूट जाता है, हर दिन मिलते सदमाें से ...
और घूट घूट कर मरता है, अंदर ही अंदर रोने से
तन्हा, अकेला हो जाता है, दुनिया के साथ होने से
नींद, सुकून छीन जाता है, करवट बदल के सोने से
पल में इंसान टूट जाता है, हर दिन मिलते सदमाें से ...