इंसान टूट जाता है
पल में इंसान टूट जाता है, किसी अपने के खोने से
और घूट घूट कर मरता है, अंदर ही अंदर रोने से
तन्हा, अकेला हो जाता है, दुनिया के साथ होने से
नींद, सुकून छीन जाता है, करवट बदल के सोने से
पल में इंसान टूट जाता है, हर दिन मिलते सदमाें से
थककर हार जाता है, साथ देते पीछे हटते कदमों से
कभी विश्वास ना कर पाता है, टूटते वादों कसमों से
और भरोसा उठ जाता है, नाम के झूठे रिश्ते नातों से
पल में इंसान टूट जाता है, कमज़ोर होते विश्वास से
किसी से जो कह ना पाता है, मन में दबे एहसास से
लाचार हो जाता है, अपनो में छुपे परायों के प्रपात से
जिंदगी से मन उठ जाता है, प्रेम में मिले विश्वासघात से
© Rashmi Kaulwar
और घूट घूट कर मरता है, अंदर ही अंदर रोने से
तन्हा, अकेला हो जाता है, दुनिया के साथ होने से
नींद, सुकून छीन जाता है, करवट बदल के सोने से
पल में इंसान टूट जाता है, हर दिन मिलते सदमाें से
थककर हार जाता है, साथ देते पीछे हटते कदमों से
कभी विश्वास ना कर पाता है, टूटते वादों कसमों से
और भरोसा उठ जाता है, नाम के झूठे रिश्ते नातों से
पल में इंसान टूट जाता है, कमज़ोर होते विश्वास से
किसी से जो कह ना पाता है, मन में दबे एहसास से
लाचार हो जाता है, अपनो में छुपे परायों के प्रपात से
जिंदगी से मन उठ जाता है, प्रेम में मिले विश्वासघात से
© Rashmi Kaulwar
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