...

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क्या है प्रेम ...
धर्म मे आध्यात्म मे,
फरवरी की मदहोश करती शाम में
या साहित्य की क्लिष्ट भाषाओं में

विरह में, मिलन मे
त्याग मे या पाने मे
क्या है प्रेम..?
प्रेम की जटिलता ने मुझे हमेशा उलझाया

फिर एक दिन
एक निपट गंवार औरत को देखा मैने
उसके पति की पहली फसल से
कतर ब्योंत कर बचाए हुए पैसों से
सबसे लुका छिपा कर
लाई गई कानबाली
उसके कानों को चूम
कपोलों को छू रही थी

पति की अनुपस्थिति मे भी उसकी
उपस्थिति दर्ज कराती
उस औरत...