इश्क तु क्या जाने?
भँवर ने रात भर रहकर फूल की पनाह में
जान अपनी देदी हसते हसते
इश्क तु क्या जाने?
नदीयॉ हद तोड़कर सागर में एक हो गई
कौन रोक सकता उसे
इश्क तु क्या जाने?
"संकेत " सारस को साथ निभाने को
किसने सिखाया
इश्क तु क्या जाने?
डॉ. माला चुडासमा "संकेत"
गीर सोमनाथ
© All Rights Reserved
जान अपनी देदी हसते हसते
इश्क तु क्या जाने?
नदीयॉ हद तोड़कर सागर में एक हो गई
कौन रोक सकता उसे
इश्क तु क्या जाने?
"संकेत " सारस को साथ निभाने को
किसने सिखाया
इश्क तु क्या जाने?
डॉ. माला चुडासमा "संकेत"
गीर सोमनाथ
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