ज़िद
किसी को हंसाने की ज़िद हो,
किसी को सजाने की ज़िद हो,
जिंदगी मुकम्मल हो उसकी,
जिसे सबको बचाने की ज़िद हो।
कही गरीबी मिटाने की ज़िद हो,
कही घर बसाने की ज़िद हो,
रिश्तों की खटास को भुलाकर,
कहीं अपनेपन से धूल हटाने की ज़िद हो ।
संग अपने सबको लाने की ज़िद हो,
कदम से कदम मिलाने की ज़िद हो,
हर मुश्किल घड़ी में,
इंसानियत से रिश्ता निभाने...
किसी को सजाने की ज़िद हो,
जिंदगी मुकम्मल हो उसकी,
जिसे सबको बचाने की ज़िद हो।
कही गरीबी मिटाने की ज़िद हो,
कही घर बसाने की ज़िद हो,
रिश्तों की खटास को भुलाकर,
कहीं अपनेपन से धूल हटाने की ज़िद हो ।
संग अपने सबको लाने की ज़िद हो,
कदम से कदम मिलाने की ज़िद हो,
हर मुश्किल घड़ी में,
इंसानियत से रिश्ता निभाने...