...

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Maut se than gayi


ठन गई!
मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िंदगी से बड़ी हो गई

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िंदगी-सिलसिला, आज-कल की नहीं

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे...