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Gazal ke trane
Gazal ke trane


जलबा ये हुस्न अब रोंके नहीं रुकेंगे

कितना ही छिपाए बिखर के रहेंगे

जितना दबायेंगें उतना उभरेंगें

डालेंगें इस तरह शौक अंदाज

तो दिल के अरमां मचल के रहेंगे


चिंगारी है तेरी मस्त निगाहे

ये शीशे के सामने पिघलके रहे

हम भी चुप ना रहेंगे यही कहेंगे

जलबा ये हुस्न अब रोंके नहीं रुकेंगे


ये गोरे गोरे गालों पे काली काली लट

कोई हटा ना दे चुपके से घूंघट

पवन सरी सी शशरत ना उठा दे तेरा घूंघट
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