नित जीवन के संघर्षो से!!
नित जीवन के संघर्षो से,
जब टूट चूका हो अंतर मन।
तब सुख के मिले समंदर का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
जब फसल सूख कर जल के बिन,
तिनका तिनका बन गिर जाये।
फिर होने वाली वर्षा का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
सम्बन्ध कोई भी हो लेकिन,
यदि दुःख में साथ न दे...
जब टूट चूका हो अंतर मन।
तब सुख के मिले समंदर का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
जब फसल सूख कर जल के बिन,
तिनका तिनका बन गिर जाये।
फिर होने वाली वर्षा का,
रह जाता कोई अर्थ नहीं।
सम्बन्ध कोई भी हो लेकिन,
यदि दुःख में साथ न दे...