...

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Motivational poem, yes you can.
ऊँचे इरादों को पालना सीखा हैं..
असंभव से नाता मेने अब तोड़ा हैं..
कितना भी मजबूत क्यों न हो काफिला कठिनाइयों का ,परवाह नहीं
मेने भी अब गिरके उठना सीखा हैं ।

कि जिन्दगी -ए -सफ़र में बुलंदियों के आशियाने बहुत हैं ..
पर यहाँ कठिनाइयों को भी अपने मंसूबो पे घमंड बहुत हैं ..
जंग छिड़ ही गयी हैं कठिनाइयों से  तो देख लेंगे किस पे कितना हैं जोर ,
यहां मेरे भी इरादों में ताकत बहुत हैं।

कि ख्वाब भी मेरे दर पे आ आ के थकते नहीं हैं...
कर्मवीर जो निकल पड़े फिर रुकते नहीं हैं..
बहुत अदा किया हैं महनत का अंश हर रोज को ,
ऐसे भी अदा कोई करता नहीं हैं

अंदाजा भी नहीं कठिनाइयों को अब ,
बुलंदियों को अदा की गयी कीमत कितनी हैं ..
पता चलेगा कभी खुदा को तो गर्व से जरूर कहेगा ,
कि कठिनाइयों को उसे हराने की औकाद ही नहीं हैं ।


© Ashish kumar chouksey