रण - रागिनी
हर एक स्त्री की है कहानी
जीवन में उसे करना पड़ता संघर्ष
देनी पड़ती नई कुर्बानी।
कभी उसे जीने के लिए
कदम -कदम पर देनी पड़ती कुर्बानी ।
कुल का दिपक इसी ज्योति से है जलता
तभी भी कहते है दुनिया वाले क्या करती है बेटी।
इसी ज्योति से दो घरों में उजाला करती है बेटी
क्या अपनी पहचान और अस्तित्व साबित करने के लिए उसे देनी पड़ी कुर्बानी ।
हुनर होते हुए भी कुचला गया उसका स्वाभिमान
और कही भी नही मिल पाया सम्मान।
जीवन में उसे करना पड़ता संघर्ष
देनी पड़ती नई कुर्बानी।
कभी उसे जीने के लिए
कदम -कदम पर देनी पड़ती कुर्बानी ।
कुल का दिपक इसी ज्योति से है जलता
तभी भी कहते है दुनिया वाले क्या करती है बेटी।
इसी ज्योति से दो घरों में उजाला करती है बेटी
क्या अपनी पहचान और अस्तित्व साबित करने के लिए उसे देनी पड़ी कुर्बानी ।
हुनर होते हुए भी कुचला गया उसका स्वाभिमान
और कही भी नही मिल पाया सम्मान।