शहर की कांति .......
#खोईशहरकीशांति
दिवस ढ़ल गया
रात की चादर ओढ़े हुए,
चांद आ गया
सूर्य से आज्ञा देते हुए,
लौट गए सब दफ्तर से
अपनी जिम्मेदारियां लिए हुए,
थक गए हैं बच्चे भी
उपवन में खेलते हुए,
जा रही है प्रकृति भी
अपनों से मिलने की आस लिए हुए,
भर रहे हैं ऊंची उड़ान
अद्भुत साहस और काश लिए हुए,
सड़के सुनसान है फिर भी
सवाल लिए हुए,
सब कुछ है इस शहर में
फिर खुशियां खोई विचलित प्रयास लिए हुए,
रुठी है शहर की कांति
अंधेरी रात लिए हुए,
बिखर रही है शांति
शहर की बाणों की बौछार ओढ़े हुए।
© Unsung Melody✌️
दिवस ढ़ल गया
रात की चादर ओढ़े हुए,
चांद आ गया
सूर्य से आज्ञा देते हुए,
लौट गए सब दफ्तर से
अपनी जिम्मेदारियां लिए हुए,
थक गए हैं बच्चे भी
उपवन में खेलते हुए,
जा रही है प्रकृति भी
अपनों से मिलने की आस लिए हुए,
भर रहे हैं ऊंची उड़ान
अद्भुत साहस और काश लिए हुए,
सड़के सुनसान है फिर भी
सवाल लिए हुए,
सब कुछ है इस शहर में
फिर खुशियां खोई विचलित प्रयास लिए हुए,
रुठी है शहर की कांति
अंधेरी रात लिए हुए,
बिखर रही है शांति
शहर की बाणों की बौछार ओढ़े हुए।
© Unsung Melody✌️